भारतीय काव्य में दोहों का एक अपना अनूठा स्थान है। सहज और सरल भाषा में दो पंक्तियों में लिखे गए भक्ति और जीवन जीने के विचारों को लोगों तक पहुंचाए हैं। आज के इस लेख में हम दोहों के बारे में विस्तारपूर्वक से बताने वाले हैं। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि Doha kise kahte hai. तो चलिए लेख को शुरू करते हैं:-
दोहा किसे कहते है? (Doha kise kahte hai)
दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद होता है। दोहा का शाब्दिक अर्थ दो पंक्तियां होता है। दोहे को दो पंक्तियों मे लिखा जाता है। जिसके चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों अर्थात पहले और तीसरे चरण में 13 – 13 मात्राएं होती है और इसके सम चरणों अर्थात दूसरे और चौथे चरण में 11 – 11 मात्राएं होती है।
दोहा कितने प्रकार का होता है? (doha kitne prakar ka hota hai)
दोहा मुख्य रूप से 23 प्रकार के होते हैं:-
- भृमर्
- नर
- करभ
- मर्कट
- मण्डूक
- श्येन
- शरभ
- सुभृमर्
- त्रिकल
- पान
- बल
- पयोधर
- ग्यन्द्
- सर्प
- श्वान
- उदर
- विडाल
- व्याल
- अविहर
- शार्दुल
- मच्छ
- कच्छप
- हंस
दोहा मे मात्रा कैसे गिनते है? (Doha me matra kaise ginte hai)
हिंदी भाषा के वर्णों को 36 व्यंजनों और 12 स्वरों में वर्गीकृत किया गया है। इन सभी व्यंजनों की अपनी एक मात्रा मानी जाती है। लघु स्वर जैसे अ, इ, उ, ऋ कि मात्रा (।)होती है और दीर्घ स्वर जैसे आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ की मात्रा भी (।) कहीं जाती है।
यदि व्यंजनों पर लघु स्वर आ रहे हो तो भी मात्रा (।) लघु रहेगी और यदि दीर्घ स्वर आ रहे हो तो भी मात्राएं (।) हो जाती हैं। इसे निम्न दोहे की सहायता से समझने की कोशिश करते हैं:-
रहिमन पानी राखिए,
। । ।। ऽ ऽ ऽ । ऽ = 13 मात्राएँ
बिन पानी सब सून।
।। ऽ ऽ ।। ऽ । = 11 मात्राएँ
पानी गए न ऊबरे,
ऽ ऽ । ऽ । ऽ। ऽ = 13 मात्राएँ
मोती मानुष चून।।
ऽ ऽ ऽ।। ऽ। = 11 मात्राएँ
आपने ध्यान दिया होगा कि ऊपर लिखे हुए दोहे में पहले और तीसरे चरण में 13 – 13 मात्राएं हैं और दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएं हैं। किसी भी दोहे को बोलते वक्त हम इसी हिसाब से ठहराव भी देते हैं। पहले 13, फिर 11, फिर 13, फिर 11 यही तरीका होता है जिससे दोहा पढ़ा जाता है।
दोहा के कुछ उदाहरण
दोहा के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार से हैं:-
मो सम दीन न दीन हित, तुम समान रघुवीर।
अस विचारि रघुवन्श मनि, हरहु विषम भवभीर।।
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लाल देह लाली लसै, अरु धरि लाल लंगूर।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।
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निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को शूल।।
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मेरी भव बाधा हरौ, राखा नागरि सोइ।
जा तन की झाई परै, स्याम हरित दुति होइ।।
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बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय।
जो मन देखा आपना, मुझसे बुरा ना कोय।।
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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर नहीं जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाए।।
दोहा और चौपाई में क्या अंतर है? (doha aur chaupai me antar)
दोहा में सम चरणों में 11 – 11 और विषम चरणों में 13 – 13 मात्राएं होती है जबकि चौपाई के हर चरण में 16 -16 मात्राएं मौजूद होती है।
दोहा का उल्टा क्या होता है? (doha ka ulta kya hota hai)
दोहा का उल्टा सोरठा होता है। यह दोहा के बिल्कुल विपरीत होता है अर्थात इसके सम चरणों में 13 – 13 मात्राएं और विषम चरणों में 11 – 11 मात्राएं होती है।
दोहा लिखने के नियम (doha likhna ke niyam bataiye)
दोहा लिखने के निम्नलिखित नियम होते हैं:-
- दोहा को 2 पंक्तियों में लिखा जाता है। एक पंक्ति में 24 मात्राएं और दोनों पंक्तियों में कुल मिलाकर 48 मात्राएं होती है।
- दोहे की दोनों पंक्तियों में 13 और 11 मात्रा होने पर ही यति होती है।
- दोनों पंक्ति में 13 की यति होने पर गुरु लघु गुरु होना ही चाहिए यानी 212 का मात्रा का भार होना आवश्यक होता है।
दोहा किसने लिखा था? (doha kisne likha tha)
मध्यकालीन भारतीय इतिहास में संत कबीर एक प्रसिद्ध कवि रहे हैं। इन्होंने लोगों तक भक्ति और जीवन का पाठ पहुँचाने के लिए आसान और सरल शब्दों का प्रयोग करके दोहो को रचा था, जो एक कविता के रूप में दो पंक्ति में छंद थे।