प्रिय दोस्तों, चांद हमारी धरती का एक प्राकृतिक उपग्रह है, इस बात का हम सभी जागरूक हैं। हालांकि, चांद पर पहुंचना अब केवल हमारी कल्पना नहीं रह गई है, वरन् आधुनिक युग में इसे संभव भी हो चुका है। इस लेख में, हम आपको चांद से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे। यहां हम चांद की दूरी के बारे में बताएंगे और आपको इस उपग्रह से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्रदान करेंगे। चलिए अब आरंभ करते हैं।
चंद्रमा एक प्राकृतिक उपग्रह
हमारे सौरमंडल में नौ ग्रह हैं। उनमें से किसी ग्रह के उपग्रह होते हैं और किसी के नहीं। चंद्रमा पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है। चांद सौरमंडल में सूर्य के बाद सबसे ज्यादा चमकता है। सौरमंडल में कुल 151 उपग्रह हैं, जिसमें से चंद्रमा सौरमंडल में पांचवां सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है।
चाँद धरती से कितना दूर है?
चांद धरती से 3,84,403 किलोमीटर दूर है, परंतु चंद्रमा और धरती की दूरी हमेशा एक समान नहीं रहती है। इनकी दूरियों में अंतर आता रहता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रमा और पृथ्वी के बीच सबसे नजदीकी दूरी 362,600 किलोमीटर है, जबकि चंद्रमा से पृथ्वी की सबसे ज्यादा दूरी 405,400 किलोमीटर होती है।
चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा
चंद्रमा पृथ्वी का इकलौता उपग्रह है, जो पृथ्वी के चारों ओर निरंतर चक्कर लगाता रहता है, अर्थात पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है। चंद्रमा को पूरी परिक्रमा के लिए 27 दिन, 7 घंटे, 40 मिनट और 1.5 सेकंड का समय लगता है। चंद्रमा अपनी अक्षय दूरी पर एक चक्र पूरा करने में 29 दिन, 12 घंटे, 40 मिनट और 2.9 सेकंड का समय लगाता है।
चंद्रग्रहण क्या होता है?
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, तब चंद्रग्रहण होता है। चंद्रमा पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी पृथ्वी रोक लेती है, जिसके कारण चंद्रमा पर प्रकाश नहीं पड़ता। पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य इस समय एक सीधी रेखा में स्थित होते हैं। इस प्रकार की स्थिति को चंद्रग्रहण कहा जाता है।
चांद और मानव
चांद को करीब से जानने के लिए सबसे पहली बार अमेरिका द्वारा लूना 1 अंतरिक्ष यान भेजा गया था। 21 जुलाई 1969 को अपोलो 11 अंतरिक्ष यान चांद्रमा पर पहुंचा। पहली बार नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम रखा था। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि उनके पांव की छाप अब भी चांद पर मौजूद है। चांद पर अब तक लगभग 12 लोग पहुँचे हैं।
चांद पर कैसे पहुंचा जा सकता है?
चांद पर पहुंचने के लिए अंतरिक्ष यान की आवश्यकता होती है। अंतरिक्ष यान चांद्रमा तक पहुंचने में लगभग 3 दिन का समय लगता है। चांद पर पहुंचने का इतिहास शुरू अपोलो 11 के साथ हुआ। अपोलो 11 एक अंतरिक्ष यान था, जिसने 102 घंटे 45 मिनट में चांद्रमा पर पहुंचा। चांद पर पहली बार पानी की खोज भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा हुई थी। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने चांद्रमा की सतह पर गिरे लैंडर विक्रम को खोजा था। चांद पर अब तक लगभग 12 लोग पहुँचे हैं। चंद्रयान-2 लगभग 15 दिनों में चांद पर पहुंचा था। चंद्रयान-1 ने चांद्रमा पर पहुंचने में 10 महीने 6 दिन लगाए थे।
चंद्रमा की कलाएं और पर्यायवाची
चांद के 16 कलाएं हैं, जिन्हें कलाओं से बच्चे के जन्म के बाद 15 दिन बाद पूर्णिमा और पूर्णिमा के 15 दिन बाद अमावस्या कहा जाता है। चांद को चंद्रमा, चंद्र, शश, हिमकर, राकेश, रजनीश, निशापति, कलानिधि, सुधाकर, मयंक, सुशांत, हिमांशु के नाम से भी जाना जाता है। ये सभी चांद के पर्यायवाची हैं।
चांद के बारे में रोचक तथ्य
- कम गुरुत्वाकर्षण के कारण चांद पर वजन कम हो जाता है, इसलिए वहां जा सके एस्ट्रोनॉट हवा में उछल-कूद सकते हैं।
- चांद पर 1 किलोमीटर से अधिक बड़े और 10 किलोमीटर से अधिक गहरे गड्ढे मौजूद हैं।
- चांद पर सबसे ऊँचा पहाड़ मोनस हयूजन है, जिसकी ऊँचाई 18,046 फीट है।
- चंद्रमा का भार 342 गुना 10^22 किलोग्राम है।
- चंद्रमा का अधिकतम तापमान 127 डिग्री है और न्यूनतम तापमान -193 डिग्री है।
- चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 27.3 दिन लगाता है।
- चांद से पृथ्वी दिखाई देती है जैसे कि एक नीले रंग का फुटबॉल।
- पृथ्वी चांद से लगभग 4 गुना बड़ी है।
- चांद का अस्तित्व 5 अरब साल से पहले माना जाता है।
- चंद्रमा सौरमंडल का पांचवां सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है।
- चंद्रमा का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचने में लगभग 3 सेकंड का समय लेता है।
- पृथ्वी से चांद पर दिखने वाले दाग पर्वत हैं।
- चांद की चमक दिन के समय सूर्य से प्राप्त रोशनी की वजह से होती है।
- चांद देखने में गोल दिखता है, लेकिन आकृति में अंडाकार होता है।
- अब तक 12 लोग चांद पर गए हैं।
- चांद का क्षेत्रफल लगभग अफ्रीका के क्षेत्रफल के बराबर है।
- चांद पर पानी की खोज भारत द्वारा की गई है।
- चांद पर करीब 181,400 किलोग्राम मानव निर्मित कूड़ा पड़ा हुआ है।
- पूरा चांद, आधे चांद से लगभग 9 गुना अधिक चमकदार होता है।