गणपतीची 108 नावे मराठी | names of ganpati in marathi

गणेश चतुर्थी, जिसे गणेश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू देवता गणेश के महत्वपूर्ण उत्सवों में से एक है। इसे अक्सर अगस्त या सितंबर के प्रारंभ में मनाया जाता है और यह दस दिनों तक चलता है। यह उत्सव भारत और अन्य देशों में बड़ी संख्या में आबाद हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है।

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गणपतीची १०८ नावे ( List )

लंबोदर शूपकर्ण
वक्रतुंड श्वेता
वरगणपति सर्वदेवात्मन
वरदविनायक सर्वसिद्धांत
वरप्रद सर्वात्मन
विकट सिद्धिदाता
विघ्नराज सिद्धिप्रिय
विघ्नराजेन्द्र सिद्धिविनायक
विघ्नविनाशन सुमुख
विघ्नविनाशाय सुरेश्वरम
विघ्नहर स्कंदपूर्वज
विघ्नहर्ता स्वरुप
विघ्नेश्वर हरिद्र
विद्यावारिधि हेरंब.
विनायक बुद्धिविधाता
विश्वमुख भालचन्द्र
वीरगणपति भीम
शशिवर्णम भुवनपति
शांभवी भूपति
शुभगुणकानन मंगलमूर्ति
शुभम मनोमय
पुरुष महागणपति
क्षेमंकरी महाबल
गजकर्ण महेश्वर
गजनान मुक्तिदायी
गजवक्त्र मूढ़ाकरम
गजवक्र मूषकवाहन
मृत्युंजय देवदेव
यज्ञकाय अवनीश
यशस्कर अविघ्न
यशस्विन ईशानपुत्र
योगाधिप उद्दण्ड
रक्त उमापुत्र
रुद्रप्रिय एकदंत
लंबकर्ण एकदंष्ट्र
नमस्तेतु एकाक्षर
नादप्रतिष्ठित कपिल
निदीश्वरम देवव्रत
पाषिण देवांतकनाशकारी
पीतांबर देवेन्द्राशिक
अखूरथ द्वैमातुर
अनंतचिदरुपम धार्मिक
अमित धूम्रवर्ण
अलंपत नंदन
कवीश कृष्णपिंगाक्ष
कीर्ति क्षिप्रा
कृपाकर बालगणपति
प्रथमेश्वर बुद्धिनाथ
प्रमोद बुद्धिप्रिय
गजानन गुणिन
गणपति गौरीसुत
गणाध्यक्ष चतुर्भुज
गणाध्यक्षिण तरुण
गदाधर दूर्जा

गणेश का महत्व:

गणेश को हिंदू देवताओं में सबसे प्रसिद्ध और अधिक पूजे जाने वाले देवताओं में से एक माना जाता है। उन्हें विनायक, गणपति और अनेक नामों से भी जाना जाता है। गणेश की छवि भारत और अन्य देशों में बड़ी जनसंख्या वाले हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा पूजी जाती है। गणेश की भक्ति व्यापक है और यह जैन और बौद्ध समुदायों तक फैली हुई है। उन्हें व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है और उन्हें बाधाओं को दूर करने, अच्छी किस्मत लाने, कला और विज्ञान के संरक्षक, ज्ञान और बुद्धि के देवता के रूप में मान्यता है।

गणेश चतुर्थी: उत्सव का आयोजन और परंपरा

गणेश चतुर्थी उत्सव गणेश की पूजा के दस दिनों के लिए मनाया जाता है। यह उत्सव अगस्त या सितंबर में आमतौर पर शुरू होता है। इस उत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी से होती है, जिसमें भगवान की मूर्तियों की मिट्टी की मूर्तियाँ लाई जाती हैं। इस अवसर पर भक्तों द्वारा गणेश की यात्रा निकाली जाती है। उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है, जब मूर्तियों को पानी में विसर्जित किया जाता है।

विसर्जन परंपरा:

कुछ परिवारों में गणेश मूर्ति का विसर्जन दूसरे, तीसरे, पांचवें या सातवें दिन किया जाता है। 1893 में, लोकमान्य तिलक ने गणेश उत्सव को निजी पारिवारिक समारोहों से एक भव्य सार्वजनिक कार्यक्रम में बदला। उन्होंने इसे अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन का हिस्सा बनाया। इससे गणेश उत्सव एक बड़ी सार्वजनिक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन बन गया है।

गणपति उत्सव का महत्व:

गणेश को “हर आदमी के लिए भगवान” के रूप में मान्यता है। उनकी पूजा भारतीय विरोध के लिए रैली का केंद्र बनती है। गणेश की बड़ी सार्वजनिक मूर्तियाँ मंडप में स्थापित की जाती हैं और दसवें दिन उन्हें जलमग्न किया जाता है। आज, गणेश उत्सव भारत भर में हिंदू धर्म के उत्साह के साथ मनाया जाता है, विशेष रूप से महाराष्ट्र राज्य में। यह उत्सव मुंबई, पुणे और अष्टविनायक मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रचलित है।

गणेश, विजेता और विद्या के देवता:

गणेश को ज्ञान, विद्या और बुद्धि के देवता के रूप में मान्यता है। उन्हें विध्यार्थियों के लिए वरदान प्रदान करने का भी श्रेय जाता है। विभिन्न लोग लिखित परीक्षाओं के दौरान गणेश की कृपा की प्रार्थना करते हैं और उन्हें पत्रों के द्वारा आमंत्रित करते हैं। इसलिए, गणेश उत्सव विद्यार्थियों और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष महत्वपूर्ण है।

गणेश चतुर्थी पर लोग गणेश की पूजा करते हैं, उन्हें मिठाई और प्रसाद चढ़ाते हैं, आरती और मंत्रों का पाठ करते हैं और विभिन्न भजन गाते हैं। यह उत्सव समाज में एकता, धार्मिक आदर्शों का प्रचार करने और लोगों को एक साथ लाने का एक माध्यम है।

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